बुधवार, 7 अक्तूबर 2015

नवम्बर ब्लैक आऊटः क्या होगा अंधेरा छाने के बाद

1. शुक्र और वृहस्पति के आसपास आने की स्थिति

पंद्रह दिनों अर्थात् ब्लैक आऊट के दौरान सूर्य की संभावित स्थिति।

* 15 दिनों तक नहीं होंगे सूर्य के दर्शनः नासा
- राकेश कुमार श्रीवास्तव


वाशिंगटन, 5 अक्टूबर। अब तक ये अफवाह की बात थी मगर नासा ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि 15 नवंबर सुबह 3.00 बजे से 29 नवंबर शाम 4.15 मिनट तक धरतीवासियों को सूरज भगवान के दर्शन इनके वास्तविक रूप में नहीं होंगे या फिर ये कुछ नीले रंग अर्थात् तारे की तरह टिमटिमाते हुए नज़र आयेंगे। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसी घटना दस लाख वर्ष में एक बार होती है अर्थात् ऐसी दूसरी घटना देखने के लिये दुनिया भर में जीवित अभी के सभी प्राणी तो नहीं ही रहेंगे हां हमारी भावी पीढ़ी को ये सौभाग्य जरूर मिल सकता है। नासा के खगोलविदों के अनुसार ऐसी स्थिति एक खगोलिय घटना की वजह से बन रही है जोकि शुक्र और वृहस्पति के बीच काफी नज़दीकिया बन जाने की वजह से है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा नियुक्त नासा के प्रमुख चार्ल्स बोल्डेन ने इस संबंध में एक हज़ार पृष्ठ के कागजात जारी किये हैं जिनमें होनेवाली घटना की पूरी जानकारी दी गयी है। इस घटना को उन्होंने नवम्बर ब्लैक आउट नाम दिया है।

रिपोर्ट के मुताबिक हम आपको घटना का क्रम बताते हैंः-

शुक्र ग्रह से तो हम सभी परिचित हैं। हम सभी रोज इनका दर्शन कर पाते हैं। जिन्हें हम भोर का तारा कहते हैं। रोज सुबह हमें इनका दर्शन पूरब की ओर हो जाता है और शाम के समय पश्‍चिम में सूर्यास्त के बाद ये अस्त होते हैं और सूर्योदय के पहले इनका उदय भी होता है। वृहस्पति को हम खास दिनों में देख पाते हैं। खैर रिपोर्ट के अनुसार, 26 अक्टूबर 2015 को शुक्र और वृहस्पति समानांतर रेखा के अंतर्गत सिर्फ 1 डिग्री कोण से अलग दिखेंगे। इस दौरान शुक्र ग्रह वृहस्पति ग्रह के दक्षिण पश्‍चिम से होकर गुजरेगा जिससे शुक्र वृहस्पति ग्रह से 10 गुना ज्यादा चमकीला होकर दिखने लगेगा। 10 गुना ज्यादा चमकने की वजह से शुक्र ग्रह से निकलने वाली प्रकाश की विभिन्न किरणें वृहस्पति ग्रह की जमीन से आकाश की ओर हजारों किमी में फैले गैस के आवरण पर जाकर जब टकरायेंगी तो उनमें एक जबरदस्त प्रतिक्रिया होगी। इस प्रतिक्रिया की वजह से चारों ओर से हाइड्रोजन गैस से घिरा वृहस्पति (वृहस्पति में 90 प्रतिशत जहां हाइड्रोजन गैस हैं वहीं 10 प्रतिशत हीलियम गैस हैं) बड़ी मात्रा में हाईड्रोजन गैस छोड़ेगा जो कि हमारे सूर्य 15 नवंबर को सुबह करीब 2 बजकर 50 मिनट तक संपर्क कर लेगा। हाइड्रोजन के इस अथाह मात्रा का सूर्य के साथ संपर्क में आना सूर्य की सतह पर एक बड़े विस्फोट का कारण बनेगा। इस विस्फोट से सूर्य की सतह का तापमान तुरंत यानि पलक झपकने के साथ पल भर में 9000 डिग्री केल्विन तक बढ़ जायेगा। अब सूर्य अपनी सतह पर शुरू हुए विस्फोट को रोकने के लिये अपने अंदर से ताप या हिट अर्थात् और ज्यादा गर्मी का प्रसारण करना शुरू कर देगा। सूर्य के कोर से निकली यह गर्मी अर्थात् इस तापमान से सूर्य नीले रंग में परिवर्तित हो जायेगा और इस नीले रंग से सूर्य को अपनी सामान्य स्थिति में लौटने के लिये हमारी धरती के दिन से कम से कम चौदह दिन का समय लगेगा। जब सूर्य अपने सतह को ठंडा कर रहा होगा उससे निकलने वाला प्रकाश बहुत ही धुंधला होगा क्योंकि सामान्यतः हमारी धरती की दैनिक गति (या घूर्णन) की वजह से सूर्य का प्रकाश हमारी धरती तक पहुंचने में 7 से साढ़े आठ मिनट लगते हैं। सूर्य की इस स्थिति में पहुंचने के लिये जो प्रक्रिया 26 अक्टूबर को शुरू होगी वह 15 नवंबर को भोर 2 बजकर 58 मिनट पर खत्म होगी और उसका परिणाम 15 नवंबर को 3.00 बजे से शुरू हो जायेगा। दुनिया के कुछ हिस्से प्रकाश के कुछ पल का अनुभव करेंगे लेकिन हमारी धरती को पूर्णतः सामान्य दिनचर्या के तौर पर सूर्य के प्रकाश पाने में करीब 14 दिन इंतजार करने पड़ेंगे। बोल्डेन ने ओबामा प्रशासन के साथ ब्लैक आऊट इवेंट पर एक कन्फरेंस का आयोजन रखा था। बोल्डेन के अनुसार, हम इस घटना की वजह से हमारी धरती पर कोई बड़ा प्रभाव होने की आशा नहीं रखते हैं। इसकी वजह से सिर्फ हमारी धरती का तापमान 6 से लेकर 8 डिग्री तक बढ़ जायेगा। ध्रुवीय प्रदेश भी किसी बड़े प्रभाव में नहीं आएगा। किसी को ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। यह घटना ठीक उसी प्रकार है जैसे अलास्का के लोग सर्दियों में अनुभव करते हैं। 15 दिन के अंधेरे में कोई सिर्फ कल्पना कर सकता है कि क्या होगा। हालांकि नासा ने इस विषय को लेकर लोगों से शांत और धैर्य रखने की सलाह दी है। आप क्या करेंगे इन 15 दिन के अंधकार के दौरान।

क्या हो सकते हैं परिणाम?

हालांकि नासा ने यह नहीं बताया कि इसका बायोलोजिकल, जूलॉजिकल या बोटेनिकल इफेक्ट क्या पड़ेगा। 15 दिन सूर्य की अनुपस्थिति में पेड़ पौधे प्रकाश संश्‍लेषण की क्रिया नहीं कर पायेंगे। तो क्या पेड़-पौधे इन 15 दिनों में अपने आपको बचाकर रख पायेंगे? सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति में क्या तापमान आम प्रदेशों या मैदानी इलाकों में शून्य की ओर नहीं जायेगा। इससे धरती के जलाशय अर्थात् नदी तालाब समुंद्र क्या बर्फ में तब्दील नहीं हो जाएंगे? इससे नदी तालाब और समुंद्र के जीव जंतुओं का क्या होगा, मछलियों का क्या होगा? क्या वे जीवित रह पायेंगे? पशु और पंछियों का क्या हश्र होगा। आमतौर पर वे दिन में भोजन की तलाश में रहते हैं जब दिन ही नहीं होगा तो फिर वे भोजन की तलाश में कहां जायेंगे। इससे क्या हमारी प्रकृति का संतुलन बिगड़ नहीं जायेगा। एक जो सबसे बड़ा प्रश्‍न है वह यह है कि वृहस्पति और सूर्य के बीच उर्ध्वक्रम में पहले मंगल तब पृथ्वी उसके बाद शुक्र, तब बुध फिर सूर्य पड़ता है। जब वृहस्पति से निकलने वाले गैस सूर्य को इस कदर प्रभावित कर देंगे तो बीच में पड़ने वाले ग्रह बुध शुक्र पृथ्वी और मंगल का क्या होगा। खासकर के हमारी पृथ्वी का जहां पर हमारी सारी दुनिया मौजूद है। पेड़ पौधे आमतौर पर ऑक्सीजन दिन में बनाते हैं और रात के समय आक्सीजन बनाने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है तो इन पंद्रह दिनों में कार्बन डाई आक्साईड की मात्रा हमारे वातावरण में ज्यादा नहीं हो जायेगा और कार्बन डाई आक्साईड की मात्रा ज्यादा होने की स्थिति में आक्सीजन ग्रहण कर जीने वाले इंसानों और अन्य जीवों का क्या होगा? ये सब यक्ष प्रश्‍न है। अब देखना है कि आने वाले उन पंद्रह दिनों में इन सबका का कौन सा उत्तर हमारे सुप्रीम पावर अर्थात् ईश्‍वर ने छुपा कर रक्खे हैं? क्योंकि हो सकता है कि जब तक स्थिति बिगड़नी शुरू हो तब तक सूर्यदेव पुनः प्रकट होकर सारी समस्याओं का समाधान कर दें!